Rani Tero Chir Jiyo Gopal

Rani Tero Chir Jiyo Gopal 

(Kirtan)

रानी तेरो चिर जियो गोपाल
रानी तेरो चिर जियो गोपाल
रानी तेरो चिरजीयो गोपाल ।
बेगिबडो बढि होय विरध लट, महरि मनोहर बाल॥१॥
उपजि पर्यो यह कूंखि भाग्य बल, समुद्र सीप जैसे लाल।
सब गोकुल के प्राण जीवन धन, बैरिन के उरसाल॥२॥
सूर कितो जिय सुख पावत हैं, निरखत श्याम तमाल।
रज आरज लागो मेरी अंखियन, रोग दोष जंजाल॥३।


रानी तेरो चिर जियो गोपाल
रानी तेरो चिर जियो गोपाल
बेगि बढ़यो बड़ी होय विरध लट,
महरी मनोहर बाल |
चिर जियो गोपाल…
उपजि परयो यह कूंखी भाग्य बल,
समुद्र सीप जैसे लाल
सब गोकुल के प्राण जीवन धन
बैरन के उरसाल |
चिर जियो गोपाल…
सूर की तो जिय सुख पावत है,
निरखत श्याम तमाल
रज आरज लागो मेरी अखियाँ,
रोगे दोष जंजाल |
चिर जियो गोपाल….


Note: जबकि यह भजन शैली स्पष्ट है , ओर जो शब्दावली है वो जगद्गुरुश्रीवल्लभाचार्यजीके शिष्य ओर पुष्टीमार्गके जहाज कहे जाते श्रीसूरदाजीका पद है । जसराज जी ने गायन प्रस्तुत करने का सुप्रयत्न किया है, तथैव पुष्टीमार्गेतर सामान्य जनताको आल्हादित करता होगा जिसमे शंका नही है । पुष्टीमार्ग की हवेलीयो मे ओर वैष्णवजन इसको भिन्न राग कानडा शैली मे परंपरासे सुनकर आल्हादित होते है ।This kirtan has been written in two styles which is self explanatory. Those who have innate desire and knowledge in bhajan, kirtan will know the difference between these two styles of writing.
******************

0 Comments